360-आईने में मेरा दर्द लगता हैं
360-आईने में मेरा दर्द लगता हैंby Kavi Kishor Kumar Khorendra on Sunday, April 8, 2012 at 10:22am ·हर सीने में हैं बहतीदुःख की एक नदीजिसका न कोई किनाराजहाँ दूर दूर तकनज़र नहीं आती ..कोई कश्तीबहुत चौड़ी...
View Article363-मै हूँ यदि नदी
363-मै हूँ यदि नदी by Kavi Kishor Kumar Khorendra on Monday, April 9, 2012 at 10:31am ·मै हूँ यदि बूंदतो तुम हो गागरमै हूँ यदि नदीतो तुम हो सागरमै हूँ यदि कटु यथार्थतो तुम मुझसे मिलती होमधु कल्पना सी...
View Article365-जब लहरों सी
365-जब लहरों सीby Kavi Kishor Kumar Khorendra on Tuesday, April 10, 2012 at 10:09am ·जिस रोज कहोगी तुम मुझे अपनाउस दिन हो जाएगा पूरा मेरा सपनाकभी पर्वत सा मैंने तुम्हें बाँहों में चाहा भरनापर तुम्हें...
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372-तुम्हारे दिव्य रूप का दरशनby Kavi Kishor Kumar Khorendra on Saturday, April 28, 2012 at 10:03am ·यह प्रेम ..क्या सिर्फ हैं दैहिक आकर्षणया हैंतुम्हारे मन के प्रतिमेरे मन का समर्पणमैं अपनी आंतरिक छवि...
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373-स्वप्न ही सच लगते हैंby Kavi Kishor Kumar Khorendra on Saturday, April 28, 2012 at 7:10pm ·सूदूर तुमचमकती हुई जैसे एक ताराजिसकी नीली ,कभी सुनहली होती हैं आभाकरीब तुम्हारे पहुँचने कानिष्फल हो जाता...
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381-ऐसी तुम हो प्रकृतिby Kavi Kishor Kumar Khorendra on Friday, May 11, 2012 at 11:06am · ऐसी तुम हो प्रकृति कोमल शब्दों सेमृदु भावों कों जो देती हैं अभिव्यक्तिखुद ही आईना ,खुद ही बिम्बऔर जो स्वयं हैं...
View Article384-इंतज़ार के पल
384-इंतज़ार के पलby Kavi Kishor Kumar Khorendra on Friday, May 11, 2012 at 11:09am ·काटों की तरह चुभते हैंइंतज़ार के पलशायद अब तुम न आओकहता हैं मुझसे आने वाला कलटहनियां थाम कर मेरी उंगलियाँकहती हैं -चलो...
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385-मेरे काव्य की तुम हो प्रेरणाby Kavi Kishor Kumar Khorendra on Monday, May 14, 2012 at 12:50pm ·मेरे मन का संसार हैं कल्पनामयमै तो सर्फ एक प्रेमी का करता हूँ अभिनयतभी लिख पाता हूँबेजान पन्नों...
View Article391- खूबसूरत चन्दा सी एक परछाई
391- खूबसूरत चन्दा सी एक परछाईby Kavi Kishor Kumar Khorendra on Wednesday, May 16, 2012 at 7:27pm ·मै तुम्हें सतह पर .कभी तट परलहर सा ..तलाशता हूँपर तुममे हैं.. सागर सी गहराईमै पर्वत की चोटियों तक,कभी...
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393-मेरे प्रणय का तुमसे प्रिये ..!by Kavi Kishor Kumar Khorendra on Friday, May 18, 2012 at 12:18pm ·प्यार के बदले प्यार मिलेप्रकृति का यह नहीं हैं नियमजीते जी परवाने का ..शमा से कब हुआ था ..मिलन सहते...
View Article404 -मुझ अफ़साने का
404 -मुझ अफ़साने काby Kavi Kishor Kumar Khorendra on Monday, May 28, 2012 at 12:28pm ·जिसे कभी हल न कर पाऊँतुम ऐसा हो एक सवालमेरा इश्क जिसके हुश्न का दीवाना हैंतुम ऐसी सुन्दरता हो बेमिसालमैं यदि शायर...
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407-मौन हैं भाषाby Kavi Kishor Kumar Khorendra on Tuesday, May 29, 2012 at 3:45pm ·काव्य जगत मेंशब्दों का यह नाताकभी किसी से एकाएकयूँ ही नहीं हैं बन जातादेखना हैं अपने लेखन सेअपने और तुम्हारे...
View Article415- कितना मुश्किल होता हैं
415- कितना मुश्किल होता हैंby Kavi Kishor Kumar Khorendra on Friday, June 22, 2012 at 11:28am ·कितना मुश्किल होता हैंकिसी के दिल में बनाना जगहबिना स्वार्थ बिना वजहमन के पन्ने परअंकित तुम्हारा नामआँखों...
View Article473-अंधेरों से मै घिर चुका हूँ
473-अंधेरों से मै घिर चुका हूँby Kavi Kishor Kumar Khorendra on Thursday, August 2, 2012 at 5:53pm ·आसमान की खिडकियोंऔर सभी झरोखोंकी आँखे बंद हैंबल्ब की तरह जगागाते सितारों कोंविरह के बादलों ने ढक...
View Article482-बबूल के बिखरे हुए कांटे
482-बबूल के बिखरे हुए कांटेby Kavi Kishor Kumar Khorendra on Thursday, August 9, 2012 at 11:07am ·एक बरगद का वृक्षउसके नीचे बैठे हुए लोगएल फावड़ाएक गैतीएल सब्बलआस पास दूर दूर तक खेतों की हरियालीबबूल के...
View Article475-करना चाहती हो अभिव्यक्त
475-करना चाहती हो अभिव्यक्तby Kavi Kishor Kumar Khorendra on Saturday, August 4, 2012 at 10:19am ·न तुम्हें मुझसेन मुझे तुमसेहैं कोई शिकायततुम्हारी तरह मुझे भीकविता सृजन की हैं आदततुम्हारे काव्य...
View Article476-फैली हैं चांदनी
476-फैली हैं चांदनीby Kavi Kishor Kumar Khorendra on Sunday, August 5, 2012 at 11:18am ·तुम्हारी ख़ामोशी कीफैली हैं चांदनीउससे आलोकित हैं मेरे मन का गगननि:शब्द हैंनि:स्वर हैंयह मनोरम वातावरणकभी तुमउस...
View Article483-मौसम भी हैं खामोश
483-मौसम भी हैं खामोशby Kavi Kishor Kumar Khorendra on Saturday, August 11, 2012 at 12:33pm ·पंखुरियों के अंक में हैंनन्ही नन्ही ओसभींगा भींगा सा ..मौसम भी हैं खामोशखोयी सी लगती हैं पगडंडियाँरास्ते भी...
View Article484-तुम हो वही ...
484-तुम हो वही ...by Kavi Kishor Kumar Khorendra on Saturday, August 11, 2012 at 4:44pm ·मेरी सारी कल्पनाएँ ..अधूरी हैं ...तुम्हारे बिनाइसलिए साये की तरह मैंकिया करता हूँ ...तुम्हारा पीछामैं ही वह...
View Article488-मित्रवत रिश्ता
488-मित्रवत रिश्ताby Kavi Kishor Kumar Khorendra on Tuesday, August 14, 2012 at 2:39am ·तुमने दिया हैं मुझेजो सिमित अधिकारउस सीमा तक ही मै कर सकता हूँतुमसे व्यवहारमेरे इस जीवन में तुम मेरे लियेईश्वर...
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