908-कभी नहीं मिलते...
कभी नहीं मिलते...कभी नहीं मिलते ,कभी कभी मिलते रहे होपर जुबाँ तुम अपनी, हरदम सिलके रहे होप्यार के लिए जानता हूँ अल्फाज नहीं होतेफूल सा ह्रदय में पर , सदा खिल के रहे होतुम बिन यह जीवन ,अधूरा सा लगता...
View Article909-बेगाने कभी कभी ....
बेगाने कभी कभी ....बेगाने कभी कभी हो अपने जाते हैंअपने कभी कभी हो बेगाने जाते हैंइस दुनियां का दस्तूर समझ न पाया मैंख्वाब सच ,सच कभी हो अफ़साने जाते हैंपूरी शिद्दत से चाहता हूँ मैं उन्हें आरंभ सेकह नहीं...
View Article910-क्षणिकायें
क्षणिकायें१-इंतज़ारहम रुके रहे तेरे इंतज़ार मेंसदियाँ बीत गयीपता ही नहीं चला२-हुस्नहुस्न पर इतना भी न किया करो ऐतबारबिना खता किये बन जाओगे गुनाहगार 3-तुम"तुम्हें देखने से मुझे अब कौन रोक पायेगामेरे ख्याल...
View Article911-तुम इतने पास.......
तुम इतने पास.......तुम इतने पास से गुजर गये नज़ाकत से तेरी हम सिहर गयेमहक तेरी सांसों में समा गयीहम उन्हीं पलों में अब ठहर गये तुम्हें इल्म ही नहीं की क्या हुआचाहत में तेरी हद से गुजर गयेबुलाये नहीं तुम...
View Article912-दूर तुमसे.....
दूर तुमसे.....दूर तुमसे मैं तो रह नहीं पाताबात तुमसे यह कह नहीं पाताबिखरा बिखरा सा अब रहता हूँजुदाई तुम्हारी सह नहीं पाताविरह की ईटों से बना मीनार हूँतेरी दुआ साथ हैं ढह नहीं पातातेरी याद में बर्फ सा...
View Article913-तेरे प्यार में....
तेरे प्यार में....तेरे प्यार में निरंतर यादों के दीये सा जल रहा हूँतेरे प्यार में सदा इंतज़ार के मोम सा पिघल रहा हूँपहली ही मुलाकात में कह देना था तुमसे सब कुछइजहारे इश्क़ के अभाव में हाथ अपने मल रहा...
View Article914-मेरी रूह हो गयी है
मेरी रूह हो गयी हैजबसे तुझ पर आ गया है मेरा मनवियोग मेंमेरी रूह हो गयी है आवारामेरा मन हो गया है बदचलनतेरे बगैर मेरे शेष जीवन मेंमेरे इरादों का यही होगा प्रचलनतेरी ओर जाती राह सेमेरे क़दमों का कभी न...
View Article915-गुलमोहर के खिले हुए फूल
गुलमोहर के खिले हुए फूलगुलमोहर के खिले हुए फूलमुरझाने से पहले तुम्हें देखना चाहते हैगिरती हुई पंखुरियाँ तुम्हारे बालों मेंउलझन चाहती हैंशाखों की आड़ी तिरछी परछाईयाँमिलकरहूबहू तुम्हारी तस्वीर बनाना चाहती...
View Article916-क्षणिकायें...
क्षणिकायें...1-मुझे छेड़ोमैं साज हूँसुनो एकांत मेंमैं तुम्हारे हीदिल की आवाज हूँ 2-मन रोज लिखता है अपनी आत्म कथालिख लिख करमिटाना चाहता हैं अपनी कहानी से वहअपना दर्द अपनी व्यथा 3- बंदगीएक दूसरे की...
View Article917-मंजिल.....
मंजिल.....लौट रहा हूँउन्ही पगडंडियों सेउन्ही रास्तों सेउन्ही सुरंगों सेउसी जंगल से होकरगांव के सरोवर में खिले कमलको निहारते हुएगगनचुम्बी चिमनियों के शहर मेंफिर से.....मैं व्यर्थ ही क्षितिज तक चला गया...
View Article918-क्षणिकायें...
क्षणिकायें... 1-खुशीरास्ते में मिले पेड़ नदी और सागरलेकिनखुश हुआ एक दिन मैं तुम्हें पाकर 2-रास्तामेरा सिर्फतुझसे है वास्तातेरी और ही जाता हैमेरा हर रास्ता 3-हीरा तेरे नूर सेरहता हूँ सदा घिरामैं सोना हूँ...
View Article919-तेरा मैं इंतज़ार .....
तेरा मैं इंतज़ार ..... तेरा मैं इंतज़ार करता रहता हूँ असहनीय दर्द सहता रहता हूँ मेरा मन लगता नहीं कहीं भी बस तुझे ही पुकारता रहता हूँ तुम्हें वियोग का अहसास है नहीं आवारा दरिया सा बहता रहता हूँ मुझे मन...
View Article921- तुम्हारे ह्रदय में....
तुम्हारे ह्रदय में....मैं तो सिर्फ किताब का एक पन्ना हूँ जिसे तुमने चुपके से फाड़कर अपने पास रख लिया है जब अकेले होते हो तो उसे पढ़ लेते हो प्यार कोई किससे कितना करता है आखिर तक कोई नहीं जान पाता जैसे...
View Article922-क्षणिकायें...
क्षणिकायें... 1-क्या तुम....क्या तुम मृगतृष्णा हो या माया होयाआईने के भीतर कीकभी न पकड़ आनेवाली छाया हो 2-खलिश.....जाते जातेछोड़ जाते होसीने में खलिशतबघेर लेता है मुझेइश्क़ का आतिश (खलिश =चुभन ,आतिश...
View Article923-लोगों के डर से.........
लोगों के डर से.........लोगों के डर से मुझ से तुम चले, दूर जाते होपास आने के लिए फिर हो,मजबूर जाते होयूँ तो तेरे ख्वाब में ,तेरे ख्यालों में ही रहता हूँजहाँ मिले थे पहली बार, वहाँ जरूर जाते होनरम बालू...
View Article924-आते आते मुझसे...
आते आते मुझसे...आते आते मुझसे दूर चले जाते होरह रह कर मुझे क्यों तरसाते होमैं तुझ पर मर मिटा दीवाना हूँफिर मुझे ही क्यों भरमाते होतुम तक पहुँच पाना संभव नहींक्या इसलिए गुस्सा जतलाते होप्रेम का अर्थ ही...
View Article925-मुझे मिल गयी..
मुझे मिल गयी..मुझे मिल गयी तेरी रफ़ाक़त अच्छा हैमुझे मिल गयी तेरी मुहब्बत अच्छा हैमुझे भी सभी लोग बुतपरस्त समझ लेतेकरने लगा हूँ अब मैं तेरी इबादत अच्छा हैपूछ कर कोई किसी से इश्क़ करता नहीं हैपर मिल गयी...
View Article926-लाज़वाब '
लाज़वाब 'मैं मानता हूँतुम्हारे घर के आँगन केगमले मेंजैसे मैं हूँएक खिला हुआ गुलाबपर तुम कहती होतुम्हारे मन के आकाश मेंसूर्योदय का हूँ मैंसुनहरा आफताबतुम्हें मैंनिरंतर पढ़ रहा हूँलेकिन जिसका अंत न होऐसी...
View Article927-क्षणिकायें..
क्षणिकायें..१-"कौन सोचता है"तेरे प्यार में जीने लगा हूँजान देने कीकौन सोचता हैतेरे प्यार की झील मेंतैरने लगा हूँडूबने की कौन सोचता है२- "उन्हें"उन्हें आता नहीं हैप्यार जतानाआता है तोचुप रह करसिर्फ...
View Article928-"क्षणिकायें"
"क्षणिकायें"१-ख्यालबीत गए सालो सालगया नहीं मन सेतेरा ख्याल२- रूपछाँव हो या धूपहर जगह दिखलाईदेता है मुझेतेरा ही रूप३-करीबनहीं रहेगा जब यह शरीरतब भी तुम रहोगेमेरे मन के करीब४-रास्तामंजिल नहीं थी ज्यादा...
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