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Channel: तात्पर्य
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888-तुम्हें अब...

तुम्हें अब...तुम्हें अब साकार जीने लगा हूँमय ए हुश्न जैसे पीने लगा हूँलोग मुझसे पूछते हैं वो कौन हैआजकल बेजुबां सा रहने लगा हूँजरा सी अवहेलना सह नहीं पातान जाने क्यों खुद से मैं डरने लगा हूँकहीं तू भी...

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889-तू यदि नज़र आये..

तू यदि नज़र आये..तू यदि नज़र आये तो मुझे फरहत मिल जायेमेरे बेक़रार दिल को तुमसे उलफत मिल जायेमुझे हर तरफ तेरी ही तो परछाई दिखाई देती हैसाया नहीं ,तुम आ जाओ तो मुहब्बत मिल जायेमुझे अब तुम्हें याद करते हुऐ...

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890-कभी तेरे सवाल...

कभी तेरे सवाल...कभी तेरे सवाल तो, कभी तेरे जवाब आयेकभी तेरे ख्याल तो ,कभी तेरे ख़्वाब आयेचाहा तैरकर नदियां पहुँच जाऊं पास तेरेपर मुझे डुबाने तेरे हुस्न के सैलाब आयेतू खुश्बू सी हर जगह हर तरफ व्याप्त...

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891-बसंत ऋतु

बसंत ऋतुक्यों तुम चुपचाप होमौन और अनमनबसंत ऋतु का प्रिये हो चूका है आगमनकलियाँ खिल गयीभंवरे कर रहेपंखुरियों पर गुंजनमंथर हैं सरिता प्रवाहस्थिर से जल मेंस्वर्णिम किरणेकर रही हैं नर्तनआम के पत्तों के...

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892-न जाने क्यों....

न जाने क्यों....न जाने क्यों तुम हरदम रहते बेजुबान से हो अब तक न सुनी न कही गयी दास्तान से हो अफ़सोस तेरे बारे में जान न पाया कुछ भी पर तुम तो मेरे प्रणय गीत के उन्वान से हो टूटे तारे सा जमीं पर बिखर...

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893-केवल तुम और मैं ...

केवल तुम और मैं ...घर में झरोखे ,खिड़कियां निगरानी करते होंगें दरवाजे रोकते होंगें एक आदमकद आईने में उभर आया साया कफ़स में कैद पक्षी सा सहमता होगा शहर के चौराहे की घडीकहती होगी -दुनियां की भीड़ में खो न...

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"894-लो फिर से आ गया बसंत "

"लो फिर से आ गया बसंत "विरह की वेदना हुई ज्वलंतमन को भटकानेलो फिर से आ गया बसंतमौसम का राजा कहोया उसे रसों का महंतप्रकृति और चेतना कोसरस करनेलो फिर से आ गया बसंतभूले बिसरे प्रणय के क्षणों कास्मृति पटल...

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895-जुनूने इश्क़ में....

जुनूने इश्क़ में....जुनूने इश्क़ में गुफ्तगू सख्त मना है हर्फ़े सुकूत को बस पढ़ना समझना है रूपोश हो भी तो हम दोनों कहाँ जाये फलक में सितारें दीवारों में आईना है अपने साये से भी तुम सहम जाते हो कह दूँ...

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896-पसंद मुझे तेरी तस्वीर..

पसंद मुझे तेरी तस्वीर..पसंद मुझे तेरी तस्वीर ,तुझे मेरी तहरीर आ गएआते आते इतने करीब हमारी रूहों के शरीर आ गएरस्ता न मंजिल ,साहिल न कारवां ने साथ दियाहमें मिलाने हमारे सौभाग्य के लकीर आ गएआकाश और जमीं...

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896-तुम मुझे विस्मृत........

तुम मुझे विस्मृत........तुम मुझे विस्मृत करने की कोशिश में होसरापा भींगें हुए मेरी यादों की बारिश में होछोड़कर इस जहाँ में तन्हा मुझे ,चल दोगेसितमगर बनने की तुम पूरी साजिस में होआखिर क्यों होता है हश्र...

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898-वृक्षों तले छाँव भी...

वृक्षों तले छाँव भी...वृक्षों तले छाँव भी रह रहे किराये से, लगने लगे हैंशहर में लोग कुछ ज्यादा ही पराये से ,लगने लगे हैमनुष्य होने के अलावा लोग न जाने क्या हो गए हैंआडम्बर वे कुछ ज्यादा ही अपनाये...

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899-तेरे पास तो....

तेरे पास तो....तेरे पास तो मुहब्बत बेपनाह है मेरे लिएतेरा सुन्दर चेहरा जैसे माह है मेरे लिएइश्क़ कुर्बत नहीं है वह एहतिराम इबादत हैफासिले में रहूँ तुझे छूना गुनाह है मेरे लिएकभी कोहरे सा कभी बादलों सा आ...

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900-तेरे इश्क़ में....

तेरे इश्क़ में....तेरे इश्क़ में हसरत ए परवाज अभी बाकी हैगमे हिज्र में हूँ ,वस्ल का आगाज़ अभी बाकी हैतेरी ख़ामोशी ने जो कहा उसे मैंने सुन लिया हैमेरे सीने में दफ़न वो एक राज अभी बाकी हैमेरे बिना न तुम रह...

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901-मैंने किया था ...

मैंने किया था ...मैंने किया था तुम्हें फोन मगर तुमने सुना नहींअपने ख्यालों में मुझे तुमने आज बुना नहींतुझे भेजा था जो खत वो उदास हो लौट आया हैमेरे मन की तरह किसी का मन आज सूना नहींउल्फ़त में तुमने अजीब...

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902-तेरे हुस्न से...

तेरे हुस्न से...तेरे हुस्न से पिरोया अशआर हूँ मैंतेरी ही चाहत का हूबहू इजहार हूँ मैंमुझे यूँ ही भूला देना आसान नहीं हैंतुझ पर इतना ज्यादा निसार हूँ मैंदीदह ओ दिल में तुम्ही समाये रहते होइश्क़ में जिस्म...

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903-न जाने कितने जन्मों जन्म से

न जाने कितने जन्मों जन्म से....न जाने कितने जन्मों जन्म से फुरकत में जी रहा हूँ मैं न जाने कबसे तेरी जुदाई के  वुसअत में  जी रहा  हूँ  मैं तुम  ही खड़े हुऐ से नजर आते हो हर जगह हर मोड़ पर निगाहों में बसी...

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904-डाल डाल फूल महके

डाल डाल फूल महके सरसों का पीला रंग देखकर मन बहके टेसू के पुष्पों सा उमंग दहके फुनगियों पर चिड़िया चहके बिना बादलों के नीले आसमान से कुछ कहना चाहूँ मौन रहके मधुप सुनते नहीं अपनी धुन में ही बस रहते सारे...

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905-तुम मेरे बेताब मन का

तुम मेरे बेताब मन कातुम मेरे बेताब मन का दूसरा हिस्सा बन गये  हो जिसे सुनता रहूँ  प्रेम का  वही किस्सा बन गये हो हर तरफ तेरे सिवाय  मुझे अब कुछ नजर आता नहीं  दो जिस्म पर एक जान सा अटूट रिश्ता बन गये...

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906-न तेरे पास जवाब है

न तेरे पास जवाब हैन तेरे पास जवाब है ,न मेरे पास सवाल है मेरे पास तेरा ख्वाब है तेरे पास मेरा ख्याल हैएक किनारा तू है और एक किनारा मैं हूँ नदी सी खामोश दरमियान हमारे हयात हैअंजुम की पहुँच तो बस तेरे...

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907-क्षणिकायें

क्षणिकायें१-दोस्ती "धीरे धीरेगहरी होती है दोस्तीसीप के भीतरबरसों रहने के बाद हीएक बून्दबनती है मोती२-चेहराएक चेहरा तेरा मुझे याद रहता है हमेशा सलोनाजिसे मेरी स्मृति नहीं चाहती है कभी भी...

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