615-चुप रह जाता हैं दर्पण
चुप रह जाता हैं दर्पणअपनी ही हथेली पसारेअंत तक ...उसकी रेखाओं कों निहारतेउलझे रह गए सारे वृक्षों के पर्णबहती हुई धारा -प्रवाहचली गयीकिस गंतव्य कों नदीमैं उसके जल कोंप्रतिमाओं के चरणों परकरता रह गया...
View Article616-वही खामोशी लिखा जाती हैं
वही खामोशी लिखा जाती हैं kishorkumarkhorendra द्वारा 2 जनवरी, 2011 5:22:00 PM IST पर पोस्टेड #पूरी उम्रजीते रहें मुझे शब्दपर समझ न पायामै उनके अर्थमौन ही तो हूँ मैजो इस जहाँ मेंहुआ हूँ -अभियक्तमेरे...
View Article617-"यात्रा ..."
"यात्रा ..."आज का दिनकोरे पन्ने सा ..गया बीतकविता न पाया ..मैं लिखसड़क के किनारेवृक्षों के तले ..बैठे छावों की देखता ..रह गया मैं पीठदूर से निहारते रह गए मुझे ..खेतों में बिखरेसरसों के रंग पीतपुल ने कहा...
View Article618-"पृथ्वी की गोद मे "
"पृथ्वी की गोद मे "तट पर स्थिर पड़े हुए कछुवे की तरह ठहरा हुआ लग रहा था मुझे सुबह का शांत वक्त केवल फेनिल लहरों के शोर कों सुन रहें थे पास ही की सडको और मकानों तक जाती हुई सूनी पगडण्डीयों के दृश्य कुछ...
View Article619-maine kah diya
tumhe samajh liya tha mai apna isliye tum par likhta rahaa jivan bhar ..kavita lekin tumne hi jab puchha usaka naam bataaoo ...... maine kah diya vo to hai meri kalpna ya samajh lo usaka naam hai sapna...
View Article620-मेरे दोस्त ...
मेरे दोस्त ...समझो मुझे कि- मैं हूँ एक किताबमुझे इस तरह लेकिन पढ़ना मुझमे लिखी कहानी चलती रहे अंतिम पन्ना कभी न आ पाए इस बात का अपने मन के ख्यालों में रखना हिसाब कुछ पृष्ठ मुड़े होंगे उन्हें ठीक कर...
View Article620-bankar ek kiran ..
kabhi apni gahraai me dubaa liya karte hai mujhe tumhare nayan ..kabhi chirag tale andhere sa chhp jaayaa kartaa hun jab tum bikhar jaati ho bankar ek kiran .. intazaar me tumhare sada jaagruk rahataa...
View Articleतुम छूटी हुई वह एक बिंदु हो
तुम छूटी हुई वह एक बिंदु होजिसके बिना पूरी कविता मुझे अधूरी सी लगती हैंतुम गायब वह एक सरस पृष्ट हो जिसके बिनासम्पूर्ण किताब पढ़कर भीमैं असंतुष्ट रह जाता हूँकिसी चौराहे पर ..बरसों पुराने किसी वृक्ष...
View Article623-"आज ...अनायास "
"आज ...अनायास "शर्म से मुख तुम्हारा हो गया लालमन करता है तुम्हारे गालों सेचुरा लूँ ....मुट्ठी भर गुलालतुम्हारी आँखों के इशारों कोमैं समझ न पाया जीवन भर रहा इस बात का मुझे मलालखेतों में फिर खिल आया...
View Article624-"हैं वे ..खामोश"
"हैं वे ..खामोश"पर्वतों के पास नहीं हैं ओंठकैसे अभिव्यक्त करे मन की बातेरहे हैं वे सोचसदियों से खड़े हैं जंगल में वृक्षअपने ही सायों सेघिरे हुए ...हैं वे खामोशनदियों को सागर तक तो जाना ही हैंपल भर को...
View Article625-होली खेलूं तुम्हारे संग
होली खेलूं तुम्हारे संगहोली खेलूं तुम्हारे संगहाथों में लेकर आत्मीयता के रंगमिट जाए सारी कटुताप्रेम का रह जाए सिर्फतुम्हारे और मेरे बीच संबंधनयनों से नयन मिलेशब्दों के बिनाबाते हो जाए अन्तरंगमेरी...
View Article626-रेत के पन्नों पर
रेत के पन्नों पररेत के पन्नों परएक गीत लिखने लगी हैं चांदनीस्निग्ध किरणों का स्पर्श पाहर नदी लगने लगी हैं ..मंदाकनीबरगद की छाया तक ,चलकर आ गयीदेखने जगमगाते सितारों की ,.. छावनीसफ़ेद लकीर सी उभर आयी हैं...
View Article627-देख कर तुम्हारी तस्वीर
देख कर तुम्हारी तस्वीरलिखता हूँ कवितायें फिरपर कभीकह नहीं पाता पूरी बातेमन रह जाता हैंआखिर तक अधीरजानता हूँ इस जन्म मेंतुमसे मिलन असम्भव हैंक्या सदियों से सह रहा हूँमैं वियोग की यही असह्य पीरक्या यही...
View Article628-"तुम्हे देखे बिन"
"तुम्हे देखे बिन"तुम्हे देखे बिनमैं किया करता हूँतुम्हारी खूबसूरती की तारीफमुझे तो लगता हैंतुम्हारा सौन्दर्य होगा इसी काबिलचाहो तो तुम मुझेअपने सपनों में कर लिया करो आमंत्रिततुम्हारे एक इशारे परमैं...
View Article629-"जैसे तुम.."
"जैसे तुम.."जैसे तुमसुबह की हो पहली सुनहरी किरणकभी बह आती हो बन बयार शीतलखिले फूलों मेस्नेह के गाड़े रंग सी आती हो उभरसड़कों के किनारे झुके से खड़ेवृक्षों की टहनियों सी मुझे छूकरउमंग जगाती हो मेरे भीतरकभी...
View Article630-"तुम हो मेरे प्रियतम "
"तुम हो मेरे प्रियतम "काँटों की लिए चुभनआशाओं के उपवन मेंखिलते है सुमनजल बूंदों से भरे होते हैंनभ में उड़ते हुए बादलरेगिस्तान सा लगता हैंफिर भी प्यासा यह जीवनकहते हैं -बोध तभी संभव हैजब खुद से खुद का हो...
View Article631-"मेरी यात्रा जारी है"
"मेरी यात्रा जारी है" पीछे छूटे हुए .उन सारे मील के पत्थरों का शुक्रियाउनके पास से गुज़रते हुए हर बारमुझे मंजिल के करीब होने का अहसास हुआ था उन सभी बादलों को धन्यवाद जिनके विभिन्न रूपों को देखते...
View Article632-तुम्हारी एक इंच मीठी मुस्कान"
तुम्हारी एक इंच मीठी मुस्कान"इस जीवन मेंआते आते कितने आ गए हम तुम पासकभी कभी लगता हैंबेतरतीब सी मेरी चाहत की घाटियों नेछू लिया हो तुम्हारे सतरंगी आँचल सा आकाशज्ञात नहीं ..जन्म से पूर्व हम दोनों कहाँ...
View Article633-तुम छूटी हुई वह एक बिंदु हो
तुम छूटी हुई वह एक बिंदु होजिसके बिना पूरी कविता मुझे अधूरी सी लगती हैंतुम गायब वह एक सरस पृष्ट हो जिसके बिनासम्पूर्ण किताब पढ़कर भीमैं असंतुष्ट रह जाता हूँकिसी चौराहे पर ..बरसों पुराने किसी वृक्ष...
View Article634-मेरे दोस्त ...
मेरे दोस्त ...समझो मुझे कि- मैं हूँ एक किताबमुझे इस तरह लेकिन पढ़ना मुझमे लिखी कहानी चलती रहे अंतिम पन्ना कभी न आ पाए इस बात का अपने मन के ख्यालों में रखना हिसाब कुछ पृष्ठ मुड़े होंगे उन्हें ठीक कर...
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