772-"देह आभास "
"देह आभास "बिना देह आभास केकैसे करूँ मैं तुम्हारी आराधनानिराकार की कठिन होती है साधनासाकार मिलने का इसलिएप्रिये करो तुम वादातुम हो अमृतमयी धारातुम बिन महासागर होकर भीहूँ मैं खाराहज़ारों गोपियों मेंहो...
View Article773-"न तुम देह हो न मन"
"न तुम देह हो न मन"न तुम देह हो न मनन इस जन्म मेंमेरा तुमसे कोई हैं सम्बन्धफिर भीकोलाहल से दूर ..अपने निज के एकांत में ..तुम्हें अब पाने लगा हूँ अपने पास ..नदी के पांवो मेंचांदी के लहरों की पायल कीहो...
View Article774-"मुलाकात"
"मुलाकात"जबसे हुई हैंतुमसे मुलाक़ातअंगड़ाई लेने लगी हैंमेरी हर रातमुझसे शरारतकरने लगी हैं मेरी हयातभांग सी घुलमिल गयी हैंतुम्हारी शोखियाँमेरी धड़कनो के साथसुरूर सा छाया रहता हैंमानो एक मधुशाला होमेरे भीतर...
View Article"775-हमराह "
"हमराह "तुम्हारे दामन नेमेरी आवारगी को दिया हैँ पनाहमुझे तुम्हारी ही तलाश थीओ मेरे हमराहअब नहीं रहा मै तन्हाजबसे तुम करने लगी होकदम कदम पर मेरी परवाहतुम गंगा सीपावन एक नदी होतुमसे आ मिला हूँ अब मैतुमसे...
View Article776-पहला खत "
पहला खत "प्यार का हैंयह पहला खततुम मुझे लिखने सेमना करना मतअनुराग कायह सिलसिलाजारी रहे अनवरतसिर्फ तुम्हारे रुप कामैं नहीं हूँ पुजारीमेरी इस बात सेतुम भी हो सहमतमूँदता हूँ जब नयनभोर की नूर सीतुम्हीं आती...
View Article777-नीम की तरह "
नीम की तरह "लज्जा है तुम्हारा घूँघटसंकोच है तुम्हारा गहनामौन रह करआता है तुम्हेंप्यार भरी बातो को कहनामै तो मुग्ध हूँ तुम परखींचा चला जाता हूँजिधर इशारा करते हैंतुम्हारे दो खूबसूरत नयनाठिठक गया हूँ ,खो...
View Article778-प्यार का दूसरा खत "
प्यार का दूसरा खत "अब और न लेना तुममेरी गहन परीक्षामुझे हैं सिर्फ़तुम्हारी ओर सेहाँ की प्रतीक्षाकई जन्मों सेरहा हूँ मैं तुम्हारा प्रेमीप्यार मांगने से नहीं मिलताइसलिए न किया करोतुम मेरे प्रयासों की...
View Article779-"दो टूक "
"दो टूक "1-न अक्षर न शब्द न आवाज़ कैसे लगाऊं गहन प्रेम का मैं अंदाज़ 2-सुन रहा हूँ तुम्हारे मन का संगीत इसीलिए लिख रहा हूँ गीत३-कहो तो कर दूँतुम पर जान कुर्बानमत लेना मेरे प्रेम कातुम इम्तहान4-मालूम...
View Article780-मधु यामिनी "
मधु यामिनी "छिटकी हैं चांदनी अम्बर में सितारों के नूर से भरी बह रही हैं एक और मंदाकनी बादलों की ओट से पूनम का चाँद भी हमें झाँक रहा हैंतुम्हारे और मेरेमिलन की हैयह मधु यामिनीशरमा कर तुम्हारे रुखसारहो...
View Article781-अभिव्यक्तियाँ "
अभिव्यक्तियाँ "मेरे संभावित उपन्यास की तुम हो नायिका महाकाव्य हो मेरा तुम अनलिखा मन ही मन तुम्हें पढता रहता हूँ ख्यालों में तुम्हे बुनता रहता हूँमेरे सपनो कीतुम ही हो मलिकातुम नअपने जीवन कीकहानी सुनाती...
View Article782-" ibadat "
" ibadat "apne karib aane ki mujhe do tum izazat naye sire se taki kar saku main tumase shalin shararat tumhari anupasthiti me bhi sun rahaa hun tumhare aate huaekadmo kii aahattum apni kaamnaao...
View Article783-कोरा दर्पण"
कोरा दर्पण"मैं कोरा दर्पण हूँ मेरे वक्षस्थल में समायी हुई तुम हो एक सुन्दर सी परछाई मैं स्वच्छ होकर और चमक ऊठा हूँ जब भी तुम हो मुस्कुराईमेरा संयमित मनदरक गया हैंजब भी तुमनेमेरे सम्मुख ली है अंगड़ाईकांच...
View Article784-"खूबसूरत "
"खूबसूरत "मेरी नज़र में तुम हो बला की खूबसूरत मेरी आँखों में बसी है इसीलिए तो तुम्हारी सुन्दर मूरत सुन लिया करोमेरे चिर मौन कामधुर प्रणय निवेदनमैं सिर्फ नहीं हूँतुम्हारे सौंदर्य का उपासकमेरी कविताएंमेरे...
View Article785-"सृजन"
"सृजन"तुम पूछती हो मुझसे इतना किस तरह से कर लेते हो काव्य का लेखन जैसे किसी वन केवृक्षों की टहनियों परखिलते है प्रतिक्षणअनगिनत सुमनवैसा ही है मेरा मनभी एक काननग़रज़ ग़रज़ करजबबरसता है सावनहोता हैंतबह्रदय...
View Article786-do tuuk
do tuuk १"प्रथम "दूर रह कर भी जब लगे कोई पासयही तो हैंइश्क़ काप्रथम अहसास२-"फ़िदा "बनाये बिनाकोई भूमिकामैं कहरहा हूँ सीधातुम परहूँ फ़िदा३-"फ़ना "कुछ कहना हैंयहाँ मनाचुप रह कर भीआजीवनइश्क़ मेंकुछ लोग होजाते...
View Article787--"ज़मीर "
-"ज़मीर "पानी पर खिंच रहा हूँ लकीर मन मेरा न जाने क्यों है अधीर रेत पर लिखा हुआ तुम्हारा नाम मिटा गया हैं अपनी उँगलियों से समीर मुझ लहर कोमिल गया था किनारा ख़्वाब देखने लगा था हसीन एक अकेले सफ़ीना सा...
View Article788-"मीत"
"मीत" तुम्हारी देह में मेरी देह का तुम्हारे मन में मेरे मन का तुम्हारी रूह में मेरी रूह का तुम्हारे ख्यालों में मेरे ख्यालों का तुम्हारे सपनों में मेरे सपनों का रहेगा अब आना...
View Article789-"तुम्हारे न आने से "
तुम्हारे न आने सेएक पत्ता अपनी डाल परनहीं फूट पायाएक कली खिल नहीं पाईएक बीज अंकुरित नहीं हो पायाएक बादल आकर लौट गयाबरस नहीं पायाएक छाव धूप में बदल गयीकोहरे की डबडबाई आँखों सेअश्रु की तरह शबनम चू...
View Article790-"मौन"
"मौन"वो अक्षर जो जुड़ नही पाएवो शब्द जो बोले नही गयेमन की गहराई मे दबे रह गयेअनपढ़े रह गयेउनसे भी होगीकभी न कभी मुलाकातजब सारी कहानियाँ ,कविताएमुझे दे न पाएँगेसच का सच की तरह जवाबखामोशी लेगीतब मेरा...
View Article791-दफ़न "
दफ़न "काँच से बना टी टेबलया हो दर्पणचीनी का हो कपया कोमल पंखुरिया सेघिरा सुमनप्यार की तरहकितना भी संभालोकभी न कभीटूट कर बिखर ही जाते हैतब कितनाएकाकी हो ज़ाता हैन मन और जीवनघिर आता है तबअचानक घुप...
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