714-"मेरे खयाल से "
"मेरे खयाल से "मेरे लिए तुमचुटकी भर नमक होमेरे जीवन में स्वाद आ गया हैंमेरे लिए तुमचम्मच भर शक्कर होमेरी दिनचर्या में मिठास आ गया हैंलेकिन मेरे खयाल सेवियोग मेंतुम्हारी आँखों सेछलक आयी अश्रु बूंदेंनमक...
View Articlemuktak
तुम्हारे मन में उठ ना जाये सवाल डरता हूँरख सकोगी कब तलक तुम मेरा खयाल डरता हूँतेरी रूह में कशिश हैं मेरी रूह में खलिश हैंतुम्हें खोने का रह ना जाये मलाल डरता हूँकिशोर कुमार खोरेन्द्र
View Article"मेरी आत्मा एक नदी हैं"
"मेरी आत्मा एक नदी हैं"बिखर जाती हैं जब ज्योत्सनाअम्बर से अप्सरा सीउतर आती हैं मेरी कल्पनाप्रेम स्नेह ममता और करुणाके जरियेदेती हैं मुझे वह फिर सांत्वनालोग कहते हैंसुकुमार ख़याल कोमेरे मन की आत्म...
View Article716-"यादो के तिनकों से
"यादो के तिनकों से"तुम वही हो एक चेहराख्यालों से कहता हूँ अक्सरजिस पर अधिकार हैं सिर्फ मेराव्यतीत हो जायेगा जीवनअंतिम साँस लेने से पहलेकह दूंगा मन कोंओंठों पर न आने देना ..नाम ....तुम्हाराइस जग में...
View Article717-"मनुष्य का जीवन "
"मनुष्य का जीवन " तुम्हारी सांसों मेंघुला हैंसुगन्धित पवनतुम्हारी आँखों मेंबसा हैंविस्तृत गगनतुम्हारे मन मेंजगमगाते हैंइच्छाओं के अनंत उडु गणचेतना के निस्तब्ध जगत कीखामोशी से जुड़ी हैंतुम्हारे ह्रदय की...
View Article718-कह रहा भ्रमर
कह रहा भ्रमरतुम …धरती केसरोवर की सुन्दरता होहे कमली ...!गुलाबी .कभी नीली ,तेरी पंखुरीतुम्हें हुआ क्यों भरमयह काम नही ..प्रेम परमयह कहता उतरअम्बर सेएक भ्रमरतुम अपनी जमीन की जड़ो पर टिकी रहनानाल पर मुकुट...
View Article719-"शरद ऋतु "
"शरद ऋतु "बर्फ की सिल्लियों सानभ में हैंबादलों का प्रसारशशि किरणें कर रही हैंधरा पर शीत की बौछार्झील मेंमिश्री की डली साघुल गया हैंपूनम का चाँदमचल उठी हैं लहरेंतट से कर रही हैंवे मनुहारओस से भींगीरेत...
View Article720-"प्रणय"
"प्रणय"वियोग में हीहोता हैंप्रणय का अहसासबरसों पहलेपल भर के लिए ही सहीतुमसे मेरा परिचय हुआ थाइसे भी मानता हूँ मैंमुझ पर तुम्हारा एहसानउसी मिलन पर हैं मुझे नाज़अन न तुम्हारी परछाई हैंन तुम्हारी तस्वीर...
View Article721-"वजूद "
"वजूद "मैं शरीर सेमन से अलग हूँशरीर को बदलता हुआ देखता हूँमन की बातें निरंतर सुनता हूँप्रकृति का अनुपम सौंदर्य मुझे अभिभूत कर लेता हैंनियति के हिंसक प्रहार को निहारकरअवाक रह जाता हूँदर्द किसी का दूर...
View Article"तुम्हारा ख्याल"
chhoti rachnaaye 1-pyaar hain sirf madhur smran ..maine bhi to kiya hai ...isi tarah se apni smriti me ...tumhe varan ..2-baaton ki shrinkhala kishesh rah jaati hain kadiisi bhahaanemil liya karenge...
View Article723-आप
आपअगर मिल जाती आपकी कोई खबरआसान हो जाता मेरे जीवन का सफ़रआप ही से दिल की बातकरने का था इरादापर कोई काम ज़रूरी हो गयाइस वक्तहमारी बातों से ज्यादाआप तो मेरी हर बात से हैं वाकिफ़आपके बारे में कुछ जान पाऊँयह...
View Article724-"कुछ दीवानगी
"कुछ दीवानगी "तुझमें हुस्न का गुरुर हैंमुझमेँ इश्क़ का सुरूर हैंमैं भी पाक हो जातायदि मुझे पनाह देतीतेरी पाकीज़गीमुझमे हैं अब कुछ आवारगीमुझमे हैं अब कुछ दीवानगीतेरी ज़रा सी बेरूखी कीवज़ह से मैंखुद से हो...
View Article725-"माध्यम"
"माध्यम"मैँ तो सिर्फ हूँएक माध्यमकविता नहीं होती हैं ख़तमबूंद बूंद की तरह आपस मेंजुड जाते हैं अक्षरशब्दों से शब्द मिलकरबिखरते हैं ऐसेजैसे होवे वाक्यों की अनेक लहरजब भी तुम्हारे प्यार काहोता है मीठा सा...
View Article726-"क्या तुम भी मुझसे ....."
"क्या तुम भी मुझसे ....."तुम्हारे ख्यालों तकमेरे ख्याल ..तुम्हारे सपनों तकमेरे स्वप्न ..तुम्हारी खामोशी तकमेरी खामोशी ...क्या कभी पहुँच पायेंगे ...?तुम्हारी परछाई सेमेरी परछाई ..तुम्हारी तस्वीर सेमेरी...
View Article727-"विलय"
"विलय"तुमसे जब हुआ परिचयतब समझ में आयाजीवन का मूल आशयधड़कने लगा हैंतुम्हें याद करअब मेरा ह्रदयतुम मुझे जीत गयी होतुम्हारे समक्ष मैंमान लेता हूँ पराजयस्वीकार किया था मैंनेइस जीवन को एक अभिनयजबसे तुमसे...
View Article728-"एक ग्राणीण युवती "
"एक ग्राणीण युवती "नटखट मन चंचल चितवनसुडौल तन सुन्दर आनननिर्मल ह्रदय हँसीं ऐसीजैसेखिला हो अभी अभी सुमनकुंतल लंबे और सघनहो जब आगमननीरस lage न वातावरणआप से आपमुस्कुराने लगे यौवनतीखे नाक नक्शबोलती मीठे...
View Article729-अवकाश
अवकाशमेरी कलम की पीठ परमेरी उँगलियों के निशान हैंअब तकएक कोरा पन्ना मेरे बिनाकमरे के हर कोने मेंमुझे तलाश चूका होगाकिताबों को यूँ हीकरीने से सजे रहनाअच्छा नहीं लग रहा होगाघर के आईने ने मुझेकाफी दिनों...
View Article730-"हलचल"
"हलचल"तुम कहती हो मुझ पर लिखना मतमैं हूँ एक अति साधारण औरतपर मैं तो हूँ एक लेखकइसलिए तुम्हारे इस कथनसे नहीं हूँ पूरी तरह से सहमततुम्हारे ह्रदय में खिला हैंसदभावों का shat दलीय कमलतुम्हारे मन की रोशनीहर...
View Article731-"शरद ऋतु "
"शरद ऋतु "बर्फ की सिल्लियों सानभ में हैंबादलों का प्रसारशशि किरणें कर रही हैंधरा पर शीत की बौछार्झील मेंमिश्री की डली साघुल गया हैंपूनम का चाँदमचल उठी हैं लहरेंतट से कर रही हैंवे मनुहारओस से भींगीरेत...
View Article
More Pages to Explore .....